Friday, April 19, 2013


2 comments:

  1. दद्द्दा.... वाह क्या बात है .......समझ-दार को इशारा काफी है !! अति-प्रशंसनीय लेखनी है !!

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  2. एकदम करारी चोट है आज की व्यवस्था पर। बहुत खूब , आज भी हर राजा ने ऐसे ही सांड छोड़ के रखे है ताकि उनकी दहशत बनी रहे, यही काम पहले सामंतशाही जमिदार टाइप ले लोग कराते थे

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