सांच कहे तो मारन धावै । झूठे जग पतियाना ।।
चुनावों के दौरान ये सत़ताधीश और नौकरशाह दोनो पर कानून का डर रहता है ।इस लिए सब कुछ ईमानदारी से होता नज़र आता है लेकिन चुनाव समाप्त होते ही वह फिर निडर और निरंकुश हो जाते है।एक अच्छा विशलेषण है ।
चुनावों के दौरान ये सत़ताधीश और नौकरशाह दोनो पर कानून का डर रहता है ।इस लिए सब कुछ ईमानदारी से होता नज़र आता है लेकिन चुनाव समाप्त होते ही वह फिर निडर और निरंकुश हो जाते है।एक अच्छा विशलेषण है ।
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