Wednesday, December 28, 2016

सारा सिस्टम सड़ा है लल्लू।

सबसे ऊपर रिश्वत खोरी
फिर चोरों की सीनाजोरी,
कालेधन से अधिक टीसती
सरहंगों की आदमखोरी।
रिश्वत के उद्गम हैं दफ्तर
रहमत*के दुश्मन हैं दफ्तर,
 फाईलों के वग्जाल में
लल्लू भटके दरदर दरदर।।
बड़े झमेले नमो नमो
कैसे झेलें नमो नमो,
बेइमानों की पूरी पल्टन
एक अकेले नमो नमो।
कबतक झेलें पपलूजी
ये चम्पू चेले पपलूजी,
बड़ेदिनो..की लेलें छुट्टी,
..कन्चे खेलें पपलूजी।
लछमी मैय्या..उल्लू के
ता..ता थैय्या उल्लू के
कालिख को चूने से पोतें,
बड़के भैय्या उल्लू के।
राष्ट्र तुम्ही पे टिका है लल्लू
राष्ट्र तुम्ही पे फिदा है लल्लू
राष्ट्रप्रेम पर बलि बलि जाओ,
यही करम पे लिखा है लल्लू।
धर दो जेंटा* पपलू जी
बासी डेटा पपलू जी,
अगडम बगडम फुर्रे फू
चुप रह बेटा पपलू जी।। *गठ्ठर
करिया उज्जर आधे आधे
इक दूजे को साधे साधे,
लादे लादे अच्छे दिन को
मस्त वजीर पस्त हैं प्यादे।
खटिया माचा पपलू के
खेल तमाशा पपलू के,
जुमलेबाजों अबतो सुनलो
गालिब चाचा पपलू के।
एक अकेला अड़ा है लल्लू
ताल ठोक के खड़ा है लल्लू,
ताक रहे थे चोर तिजोरी
सारा सिस्टम सड़ा है लल्लू।
तन में हो नासूरी फोड़ा
पड़ जाता है मरहम थोड़ा,
चीर फाड़ से ही अब होगा
सारा सिस्टम चंग निगोड़ा।
बेइमानों पर ये बमबम है
या बेइमानों की बमबम है
लल्लू पूछे जगधर कक्का
कौनसा ज्यादा कौनसा कम है
छापे वालों का छापा है
छापे वालों पर छापा है,
पार हुए सब नोट गुलाबी
छापों के ऊपर छापा है।
खादी औ मखमल से रिश्ते
फिर भी वही निराले हैँ,
उधर बरसते नोट गुलाबी
पिटते इधर दिवाले हैं।
दिन पचास हो रहे हैं लल्लू
नाहक ही रो रहे हैँ लल्लू,
काला पीला बना गुलाबी
वे झकास हो रहे हैं लल्लू

लल्लू ....मैंने सपना देखा
सोने का तन अपना देखा,
उनको उंगली करते करते
तना अंगूठा अपना देखा।


जो बीती सो बीत गया
मन का बोझा रीत गया,
कल.तुझसे अब कल निपटेंगे
आज..हमारा जीत गया।

No comments:

Post a Comment